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दया मण्डली, भारतीय वैजिटेरियन सोसायटी प्रादि अनेकानेक संस्थाओ की सक्रिय, नि स्वार्थरूप से सेवा की है।
लालाजी जो भी कार्य करते थे, उसको सम्पन्न करने मे आप तन-मन-धन से जुट जाते थे और पाशातीत सफलता प्राप्त करते थे।
६४ वर्ष की आयु मे लालाजी का देहावसान हो गया; परन्तु अपने जन्मकाल मे उन्होने जो-जो भी राजनीतिक, धार्मिक एवं सामाजिक कार्य किए है , वे किसी भी व्यक्ति से भुलाये नही जा सकते है ; अपितु भावी नागरिको के जीवन को दीपशिखा की भाति सदैव आलोकित करते रहेगे और उनके जीवन की पतवार के समान सिद्ध होगे। ' अन्त में, यह कहना अत्युक्तिपूर्ण न होगा कि वे जैन समाज के ही क्या, वैश्य वर्ण के महान् सेवक, सफल कार्यकर्ता, नव युवको के प्रेरक, जैन-परिपद् की अडिग शिला एव मानवता के सच्चे पुजारी थे।
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तनसुखरायजी को शुभाशीर्वाद
श्री दयाशंकर ज्योतिषी
८५, मुन्नालाल स्ट्रीट, कानपुर विधिदे बडाई, वाहुवल वीर्य विक्रम को,
ज्ञानमान युक्त वजरगवली वल दे। शकर दे सकल सुफल मनकामना को,
जेतो भूमि वैभव सुरेश सो सकल दे । राम रमणीयता दे कृष्ण कमनीयता दे,
अम्बिका भवानी शत्रु साहिनी को दल दे। राजो जैन वंश अवतस तनसुखराय,
धन दें धनेश श्रीगणेश पुत्र फल दें।