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श्री तनसुखरायजी
- क्रांतिकारी नेता
श्री शीलचन्द्र जैन 'शास्त्री ' सू० पूर्व अध्यक्ष नगरपालिका, मवाना (मेरठ)
जैन समाज मे फैली हुई कुरीतियों को दूर करने मे जितना सहयोग लाला तनसुखरायजी का रहा है उतना कर्मठ सहयोग जैन समाज उत्थान के सिलसिले मे बहुत ही कम लोगो का मिला है।
दिगम्बर श्वेताम्बर एव स्थानक वासी सम्प्रदायो को एकता के सूत्र मे बांधने का लाला जी का प्रयास जैन समाज के इतिहास मे अक्षुण्ण बना रहेगा । लालाजी का दिल हमेशा जैन समाज उत्थान के लिए लालायित रहता था । महगाव काड, प्रावू पहाड, एव दस्सा पूजा अधिकार के प्रान्दोलन को घर-घर तक पहुंचाने का श्रेय स्व० लाला तनसुखरायजी को ही है ।
अपने स्वास्थ्य की कुछ परवा न करते हुए भी देश, समाज की जो कुछ सेवाए उन्होने की है उनका अवलोकन, उनका त्याग, कार्य-कुशलता, कठोर परिश्रम एव परोपकार भावना से आका जा सकता है। समाज मे जो कुछ भी आज सुधार दिखाई दे रहा है उसका श्रेय माननीय लालाजी को ही है । हमारी उनके लिए सच्ची श्रद्धाञ्जलि तभी हो सकती है : जब हम उनके किए हुए अधूरे कामो को सलग्नता के साथ पूरा कर सकेगे ।
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मिलनसार और प्रेमी सज्जन
श्री रघुवीरसिहजी जैन कोठीवाला श्री जैन शिक्षा बोर्ड, कूचा सेठ, दिल्ली
ला० तनसुखराय जैन एक कर्मठ कार्यकर्ता थे । प्रापका कार्यक्षेत्र काग्रेस और जैन समाज रही। मेरा आप से परिचय लगभग ३० वर्ष से था । आप हसमुख, मिलनसार और प्रेमी सज्जन थे । श्रीमती लेखबती जैन के चुनाव को लेकर आपका काग्रेस में विवाद प्रारम्भ हुग्रा जिसका अत तिलक बीमा कम्पनी खुलने से हुआ ।
आपने अपने जीवन काल मे अनेक आन्दोलन उठाए उन्हे सही मोड़ दिए, सफलता आपका लक्ष्य रहा । अग्रसेन जयती, वनस्पति घी, आबू का कर, उनमे मुख्य थे 1
tree जीवन का अधिक समय जैन परिपद मे वीता, वास्तव मे श्राप उसके प्राण रहे । आपके कार्य की यह विशेषता रही यदि आपने महसूस किया कि किसी भी कार्य छोड़ने के उसमें प्रगति होगी तो आपने उसको सहर्प दूसरे को सौप दिया, सामाजिक कार्य मे श्रापने कभी स्वार्थ का समावेश नही किया ।
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