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________________ चौहान वंशीय जैन-वीर २२३ उस समय रघुनाथ भण्डारी मारवाड़ पर राज्य कर रहा था। ३. खिमसी भण्डारी:-- यह दीपचन्द का पौत्र और रायसिंह का पत्र था। यह भी महाराजा अजीतसिंह के समय में दीवान पद पर नियुक्त था। इसने दिल्ली के अधिपति से गुजरात के सूबेदारी की सनद प्राप्त करली थी। मारवाड़ का इतिहास इसबात का साक्षी है किभण्डारी खिमसी ने जजिया कर जिसे औरंगजेब ने पुनः हिन्दुओं पर लगा दिया था-वन्द करा दियाथा । यह यश भण्डारी खिमसी को ही प्राप्त है। ४. विजय भण्डारी ___ महाराजा अजीतसिंह जब गुजरात के सूत्रेदार नियुक्त हुये, तब उन्होंने अपने वहाँ आने तक इसको सूबेदारी का कार्य-भार दिया। . ५. अनूपसिंह भण्डारी:___ यह दीवान रघुनाथसिंह का पुत्र था । संवत् १७६७ में महाराजा अजीतसिंह के समय में यह जोधपुर का हाकिम नियुक्त हुआ। उस समय की हुकूमत आजकल जैसी शान्तिमय नहीं थी। आन्तरिक इन्तजामी मामलों के साथ साथ उस समय के हाकिम को बाह्य आक्रमणों से सावधान रहना पड़ता था और अवसर आने पर युद्ध भी करना पड़ता था। अर्यान् यूं कहिये कि सिविल और मिलिटरी मामलों का उत्तरदायित्व उस समय के हाकिम पर
SR No.010056
Book TitleRajputane ke Jain Veer
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAyodhyaprasad Goyaliya
PublisherHindi Vidyamandir Dehli
Publication Year1933
Total Pages377
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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