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________________ २२२ राजपूताने के जैन-चीर P अब हम पाठकों को उन भण्डारियों का संक्षिप्त परिचय कराते हैं, जिन्होंने युद्ध में नाम पैदा किया था। १. माना भण्डारी:--- 'यह मारवाड़ में राजा गजसिंह के मातहत था और जैतारणं का रहने वाला था । इसके पिता का नाम अमर था । वि०सं० १६७८ में इसने कापरदा में पार्श्वनाथ का एक विशाल मन्दिर बनवाया । उसकी. शिलारोपण रस्म खरतरगच्छ के आचार्य जिनसेनसूरि से कराई । मूर्ति का लेख यह बतलाता है कि यह राय लखन के पीछे हुआ था । २. रघुनाथ भण्डारी: यह महाराजा अजीतसिंह के समय में (१६८० - १७२५ ईस्वी) · में हुआ। महाराज ने दीवान के पद पर नियुक्त करके राज्य सम्बन्धी सम्पूर्ण कार्यों को सौंप दिया था। राज्यप्रवन्ध और सिपाह गिरी दोनों कार्यों में इसका अनुभव बहुत बढ़ा चढ़ा था। कर्नल वाल्टर साहब का कथन है कि जब महाराजा अजीतसिंह देहली में विराज-' मान थे, तब रघुनाथ भण्डारी ने अपने स्वामी के नाम से मारवाड़ में कितने ही वर्ष शासन किया था । यह बात नीचे लिखे हुये पद. से भी प्रकट होती है, जो जन साधारण में बहुत प्रसिद्ध है। • 'कोड़ां द्रव्य लुटायो, हौदा ऊपर हाथ | "अंजि दिलोरो पावशो राजा तौ रघुनाथ ११| अर्थात --- जब अजीतसिंह दिल्ली पर शासन कर रहे थे,
SR No.010056
Book TitleRajputane ke Jain Veer
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAyodhyaprasad Goyaliya
PublisherHindi Vidyamandir Dehli
Publication Year1933
Total Pages377
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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