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________________ २०६ राजपूताने के जैन-बीर पृष्ठ से अधिक बड़ा और राजपूताने, गुजरात, काठियावाड़, कच्छ, वघेलखंड, और मध्यभारत के इतिहास के लिये विशेष उपयोगी है। ख्यात-सामग्री . नैणसी की इतिहास पर बड़ी रुचि होने के काण उसने चारणों, भाठों अनेक प्रसिद्ध पुरुषों, कानूनगो आदि से जो कुछ ऐतिहासिक वृतान्त मिल सका, उससे तथा उस समय से मिलने वाली ख्यातों आदि सामग्री से अपनी ख्यात का संग्रह किया। जोधपुर के दीवान नियत होने के पहिले से ही उसको ऐतिहासिक वातों के संग्रह करने की रुचि थी। और ऐसी प्रतिष्ठित राज्य का दीवान होने के पीछे तो उसको अपने काम में और भी सुभीता रहा होगा। उसने कई जगह पर, जिन जिन से जो कुछ वृत्तांत प्राप्त हुआ, उसका संवत् मास सहित उल्लेख भी किया है। · नैणसी की ख्यात मुख्यतः राजपूताने और सामान्य रूप से ऊपर लिखे हुए अन्य देशों के इतिहास का एक बड़ा संग्रह है। उक्त ख्यात में चौहानों, कछवाहों, और भाटियों का इतिहास तो इतने विस्तार के साथ दिया गया है, कि जिसका अन्यत्र कहीं मिलना सर्वथा असम्भव है। वंशावलियों का तो ख्यात में इतना संग्रह है, जो अन्यत्र मिल ही नहीं सकता । उसमें अनेक लड़ाइयों के वर्णन, उनके निश्चित् संवत्, तथा सैंकड़ों वीर पुरुषों के जागीर पाने या लड़कर मारे जाने का संवत् सहित उल्लेख देखकर यह कहना अनुचित न होगा कि नैणसी जैसे वीर प्रकृति के पुरुष ने
SR No.010056
Book TitleRajputane ke Jain Veer
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAyodhyaprasad Goyaliya
PublisherHindi Vidyamandir Dehli
Publication Year1933
Total Pages377
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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