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________________ :१४६ राजपूताने के जैन-चीर । भी हुई । यह हालत देखकर मेवाड़ के पोलिटिकिल एंजेण्ट ने उसे कुछ दिन के लिये अजमेर जाकर रहने की सलाह दी, जिस पर वह वहाँ चला गया। . . . : . . मेहता पन्नालाल के कैद होने पर महकमा खास का काम राय सोहनलाल कायस्थ के सुपुर्द हुआ। परन्तु उससे वह कार्य होता न देखकर वह कार्य मेहता गोकुलचन्द और सहीवाला अर्जुनसिंह को सौंपा गया। ... . . पन्नालाल के अजमेर चले जाने के बाद महकमे खास का काम अच्छी तरह न चलता देखकर महाराणा सज्जनसिंह के समय पोलिटिकिल एजेण्ट कर्नल इवर्ट ने वि० सं०१९३२ भाद्रपद सुदी ४ ( ई० स० १८७५ ता० ४ सितम्बर) को अजमेर से उस को पीछा बुलाकर महकमा खास का काम उसके सुपुर्द किया। ___ महारानी.विक्टोरिया के कैसरे-हिन्द की उपाधि धारण करने के उपलक्ष में हिन्दोस्तान के गवर्नर जनरल लार्ड लिटन ने ई०स० १८७७. ता० १ जनवरी (वि० सं० १९३३ माघ बदी २) को दिल्ली में एक बड़ा दरवार किया, उस प्रसंग में पन्नालाल को 'राय' का खिताब मिला । जब महाराजा ने वि०सं० १९३७ में 'महद्राजसमा' की स्थापना की उस समय उसको उसका सदस्य भी बनाया। महाराणा सज्जनसिंह के अन्त समय तक वह महकमा खास का सेक्रेटरी बना रहा और उसकी योग्यता तथा कार्यदक्षता से राज्य कार्य बहुत अच्छी तरह चला । उसके विरोधी महारांण से यह शिकायत करतेरहे कि वह रिश्वत बहुत लेता है, परन्तु महाराणा
SR No.010056
Book TitleRajputane ke Jain Veer
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAyodhyaprasad Goyaliya
PublisherHindi Vidyamandir Dehli
Publication Year1933
Total Pages377
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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