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जैनगासन
हैं कि वह अत करणमे अकित पूर्व जन्म के प्रेमको स्मरण करता है ।" कविका भाव यह है कि अनुकूल तथा प्रिय वातावरणमे विद्यमान सुखी व्यक्ति की मनोवृत्तिमे परिवर्तन होनेका कारण जन्मान्तर के सस्कारोका प्रभाव है।
पश्चिमका सन्तकवि वर्ड सबर्थ ( Wordsworth ) कहता है"हमारा जन्म एक ऐसी निद्रित अवस्था है, जिसमे पूर्व जन्म के अस्तित्वकी अनुभूति विस्मृत हो जाती है। जिस आत्माका शरीरके साथ जन्म होता है वह हमारे जीवनका एक ऐसा नक्षत्र है जो पूर्वमे दूसरी जगह अस्तगत हुआ था । और, जो वडी दूरसे आता हैं ।"
ड्रायडनका कथन भी वडा मार्मिक है - " अविनाशी आत्माका विनाश करनेकी क्षमता मृत्युमे नही है । जव विद्यमान शरीरका मृत्तिका - रूप परिणमन होता है, तव आत्मा अपने योग्य नवीन आवास-स्थलका अन्वेषण कर लेता है एव अवाथ गतिसे अन्य गरीरमे जीवन तथा ज्योति भर देता है ।".
१ " रम्याणि दीक्ष्य मधुरांश्च निशम्य शब्दान् पर्युत्सुकीभवति यत्सुखितोऽपि जन्तुः । तच्चेतसा स्मरसि नूनमबोधपूर्वम् भावस्थिराणि जन्मान्तरसौहृदानि ॥ 2 Our birth is but a sleep and a forgetting, The soul that rises with us, our life's star Hath had elsewhere its setting,
क ५, पृ० १४० ।
And cometh from afar-Ode on Intimations of
immortality
3 Death had no power the immortal soul to stay. That when its present body turns to clay, Secks a fresh home and with unlessened might. Inspires another frame with life and light.