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________________ 714 जैनसाहित्य और इनिहामपर विशद प्रकाश अभयचन्द्र (सूरि) 280 अष्टपाहुड अभयचन्द्र (सैद्धान्तिक) 281 अष्टशनी 183, 256, 260, 273, अभयदेव 551 275, 264, 300, 307,362, अभयदेवमूरि 504, 517, 526. 470, 530,561, 638, 636, 545, 584 645. 646, 656, 666 अभयमुरि 281 अष्टमहम्री 153, 187, 188, 186. अभिनव-धर्मभूगण 160. 198.206, 253 256 अममरित्र 260, 285, 286 287.86, अमरकोग अमितगनि 305, 324, 326, 327. 470. अमितगति ( प्राचार्य) 33. 34, 343. 33.636.646.663 अमृतचन्द्र 106.4.8 अप्रमहरी-शिवगा अमन चन्द्रमरि 505.13 अपमहनी-विषमपद नापयंटाका 52 हामृनचन्द्राचार्य 61.660. 665, अमङ्ग ग्रानागङ्ग (मत्र) 6.6.2. अमोघवर्ष ग्रानागङ्ग-ग्युिक्ति : अम्बट (वंश) प्राचार्य-भक्ति अथ्यपाय मानार-नि प्रमंगलान्वय प्रावारमार अनी टिम्टगे प्राफ़ इंडिया 157 ग्रा-मम्यानि (ममयमार-टीका) ::: प्रात्मानन्दप्रकाश 551.558 अर्ली हिस्टरी ग्राफ़ डेक्कन प्रात्मानुगामन अहमूत्रवृत्ति मात्माराम (उपाध्याय) 128, 134 अहंद्वनी মাৰিব अहंन्मुनि 574 प्रादिपुगरण 164, 165, 241. 486 अलकारचिन्तामणि 153, 165 565, 5.65, 638, 640, 641, 168, 357, 568 656, 664, अविनीत (गंगवंशी राजा) 556 भादिपुराण (वहत) 660 486
SR No.010050
Book TitleJain Sahitya aur Itihas par Vishad Prakash 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Shasan Sangh Calcutta
Publication Year1956
Total Pages280
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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