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________________ 430 जैनसाहित्य और इतिहासपर विशद प्रकाश इसी तरह दूसरी कारिकामोंका भी हाल है / मैं चाहता था कि कारिकाभोंपरसे फलित होनेवाले गचसूत्रोंकी एक सूची अन्यके प्रथम संस्करणके साथ अलगसे दी जाती, परन्तु उसके तैयार करने योग्य मुझे स्वयं अवकाश नहीं मिल मका और दूसरे एक विद्वान् जो उसके लिये निवेदन किया गया तो उनसे उसका कोई उत्तर प्राप्त नहीं हो सका। और इसलिए वह सूची फिर किमी दूसरे संस्करण के अवमरपर ही दी जा सकेगी। ___ माशा है ग्रन्यके इस संक्षिप्त परिचय और 12 पेजी विषयसूची परसे पाठक अन्यके गौरव और उसको आदेयताको समझ कर सविशेषरूपमे उसके अध्ययन और मननमें प्रवृत्त होंगे।
SR No.010050
Book TitleJain Sahitya aur Itihas par Vishad Prakash 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Shasan Sangh Calcutta
Publication Year1956
Total Pages280
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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