SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 216
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २१२ जैन साहित्य और इतिहासपर विशद प्रकाश निर्ममत्व रहते थे- उन्हें भोगोंसे जरा भी रुचि अथवा प्रीति नहीं थी - ; वे इस शरीरसे अपना कुछ पारमार्थिक काम निकालनेके लिये ही उसे थोडासा शुद्ध भोजन देते थे और इस बातकी कोई पर्वाह नहीं करते थे कि वह भोजन रूखाचिकना, ठंडा-गरम, हल्का भारी, कटुआ-कपायला आदि कैसा है । इस लघु भोज नके बदले में समन्तभद्र अपने शरीरमे यथाशक्ति खूब काम लेते थे, घंटों तक कायोत्सर्ग में स्थिर होजाते थे, आनापनादि योग धारण करते थे, और आध्यात्मिक तपकी वृद्धिके लिये +, अपनी शक्तिको न छिपाकर, दूसरे भी कितने ही अनशनादि उम्र उग्र बाह्य तपश्चरणोंका अनुष्ठान किया करते थे । इसके मित्राय, नित्य ही आपका बहुतसा समय मामायिक, स्तुतिपाठ, प्रतिक्रमण, स्वाध्याय, समाधि, भावना, धर्मोपदेश, ग्रन्थरचना और परहितप्रतिपादनादि कितने ही धर्मकार्योंमें खर्च होता था । ग्राप अपने समयको जरा भी धर्म मानारहित व्यर्थ नहीं जाने देते थे । आपत्काल इस तरहपर, बड़े ही प्रमके साथ मुनिधर्मका पालन करने हुए, स्वामी रामन्तभद्र जब 'मरगुवकहली ' * ग्राम में धर्मध्यानमहित ग्रानन्दपूर्वक अपना मुनि जीवन व्यतीत कर रहे थे और अनेक दुर्द्धर तपश्चरणोंके द्वारा ग्रात्मोन्नति के पथ अग्रेसर हो रहे थे तब एकाएक पूर्वमंत्रित ग्रमातावेदनीय कर्मके तीव्र उदयमें आपके शरीरमें 'भस्मक' नामका एक महारोग उत्पन्न होगया है । इस रोगकी उत्पतिमे बाह्य तपः परमदुश्चरमारस्त्वमाध्यत्मिकम्यतपसः परिचहरणार्थम् ॥८२ —स्वयभूस्तोत्र | * ग्रामका यह नाम राजावलीकथे में दिया है। यह काबी' के पासपासका कोई गाँव जान पड़ता हैं 1 + ब्रह्मदत्त भी अपने 'प्राराधनाकथाकोष' में, समन्तभद्रकथा के अन्नंगन, ऐसा ही सूचित करते हैं। यथा दुर्द्धरानेकचारित्ररत्नरत्नाकरो महान् । यावदास्ते सुख धीरस्तावत्तत्कायकेऽभवत् ||४|| सट्टे महाकर्मोदयाद्दु :खदायकः । arenger: कष्टं भस्मकव्याधिसंज्ञकः ।। ५ ।।
SR No.010050
Book TitleJain Sahitya aur Itihas par Vishad Prakash 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Shasan Sangh Calcutta
Publication Year1956
Total Pages280
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy