________________
संट-धनाजी
नुभद्रा की वाणी का असर था। जिस ने सउ धनाजी के परिचार की दिशा ही बदल दी। जो शक्ति बड़ी-बड़ी तोप के गोला में नहीं, वह समय पर फही हुई वाणी में हैं। यही कारण है, कि 'चानी का दूसरा नाम 'सरस्वती है। यही, मधुर बन फर. यह यं वीरों का मन, यात की बात में, माहित कर लेती है। इसीलिए लोगों ने इस 'रसना' कहा है।
[६
]