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१० धर्म-रुचिश्रणगार
याज से बहुत समय पहले, हमारे इसी पवित्र भारतवर्ष में एक मुनि थे । उन का नाम धर्म घोष था । गाँव-गाँव में विचरण कर के, धर्म के अहिंसात्मक एवं सर्व-सुलभ सिद्धान्तों का प्रचार तथा प्रसार करना, उन के जीवन का यही एक मात्र सद्दश्य था । एक दिन वे अपने पाँच सौ मुनियों के विशाल परिवार के साथ, चम्पानगरी ( विहार प्रान्त) में पहुँचे । शिष्यों