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३० सुधावक धरकणी
भगवान् श्रर्हनाथ, अठारहवें तीर्थकर के शासन समय चम्पा नगरी में, ' चन्दच्छाया' महाराज राज करते थे । वहीं श्रमणोपासक, ' अरणक' नाम के एक वैभवशाली वैश्य भी रहते थे। धर्म और अधर्म का विवेक, इन का बड़ा ही बढ़ा-चढ़ा था। धर्म "ही इन के प्रत्येक काम का प्राण था । यही कारण था, कि लोग इन्हें ' इढ़-धर्मी,'' प्रिय धर्मी ' आदि नामों से पुकारने