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२८ मेघ- मुनि
राज-गृह के महाराज श्रेणिक की रानी का नाम धारिणी था। एक दिन उसने रात में एक स्वप्न देखा । वह शुभ था। श्रतः उस के बाद वह सोई नहीं। स्वम-शास्त्रों का कथन है, कि शुभ स्वप्न देखने पर सोने से उस का फल नष्ट हो जाता हैं। इसी के कुछ दिनों के बाद, उसे अऋतु में मेह के वरसने और हरियाले के दृश्य को देखने का एक डोहला श्राया।