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(२२६) स्थास्याभ्येतत्समाकये कुणिक चेलिनी युतः । तत्पुराधिपतिः सर्व परिवार परिष्कृतः॥ २. उ० पु०पर्व ७६ श्लोक १२३
जव जम्बूकुमार दीक्षा लेंगे, तब कुणिक राजा अभिषेक करावेगा।
(१७) पांच वर्ष पूर्ण होने पर बालक विद्या प्रारम्भ कर देता था।
'क्षत्र चूड़ामणि लम्ब १ श्लो० ११०-११२
पांच वर्ष पूर्ण होने पर जीवन्धर कुमार ने आर्यनन्दि तपस्वी के पास सिद्ध पूजा करके विद्या प्रारम्भ की।
(१८) अजैनोको उदारतापूर्वक जैनी बनाया जाता था। १. क्षत्र चूडामणि लम्ब ६ श्लोक ७-8
जीवन्धर कुमार ने एक अजैन तपस्वी को जैनधर्म का उपदेश देकर जैनी बनाया।
२. क्षत्र चूड़ामणि लम्ब ७ श्लोक २३-३०
जीवन्धरकुमार ने एक गरीब भाई को जैनी बना कर आठ मूलगुण ग्रहण कराये तथा प्रसन्न हो अपने आभूषण उतार कर दे दिये।
(१६) उस समय पाँच अणुव्रत धारण व तीन मकार का त्यागन, इन आठ मूल गुणोंके धारण करनेका प्रचार था।
क्षत्र चूड़ामणि लम्ब ७ श्लोक २३अहिंसा सत्य मस्तेयं स्वस्त्री मितवसु गहौ। मद्य, मांस, मधु त्यागैस्तेषां मूल गुणाष्टकम् ॥
(२०) स्वयंवर में ब्राह्मण, क्षत्री,वैश्य तीनों वर्णधारी एकत्र होते थे।