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(१४) राजग्रही का विपुलाचल पर्वत परम पवित्र है । वहाँ से अनेकों ने मोक्ष प्राप्त की है।
१. उत्तरपुराण पर्व ७५ श्लोक ६८६-६६७जीवन्धर ने मोक्ष प्राप्त की ।
विपुलाद्वौ हताशेष कर्मा शर्माग्य मेध्यति । दृष्टाष्ट गुण सम्पूर्ण निष्टितात्मा निरंजनः ॥ ६८७ ॥ २. उत्तर पुराण पर्ग ७६ श्लोक ५१७गौतम स्वामी गणधर ने यहीं से मोक्ष प्राप्त की । ३. श्रेणिक चरित पर्व १४
श्रेणिक पुत्र अभयकुमार ने विपुलाचल पर केवलज्ञान पा कर मोक्ष पाई ।
(१५) वैराग्य होने पर राज्य व कुटुम्ब का मोह नहीं रहता है ।
१ उत्तरपुगण पर्व ७६, श्लोक ८-२६
चम्पानगरी के राजा श्वेतवाहन श्री वीर भगवान का उपदेश सुनकर वैराग्यवान हो जवान होने पर भी बालक पुत्र विमलवाहन को राज्य दे मुनि हो केवली हो गये । धन्यकुमार चरित्र वां पर्ण
धन्यकुमार सेठ व सालिभद्र सेठने जवानीमें ही दीक्षा धारण की और घोर तप किया ।
(१६) श्रेणिक का पुत्र कुणिक या श्रजातशत्रु जैन धर्म
पालता था ।
१. उत्तर पुराण पर्ज ७६ श्लोक ४१-१२
जब महावीरको मोक्ष और गौतम गणधरको केवलज्ञान हुआ, तब राजा कुणिक परिवार सहित पूजन करनेको श्राया ।