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( २२४ ) उत्तर पुराण पर्ग७६ श्लोक ११७
जम्बूकुमार के साथ विद्युच्चोर और तीनों वर्ण वालोने दीक्षा ली।
(१३) मोक्षगामी गृहस्थावस्था में आरंभी हिंसा के त्यागी नहीं होते ।.
१. उत्तरपुराण पर्न ७६ श्लोक २-६-:___ मोक्षगामी प्रीत्यंकर वैश्य ने दुष्ट भीम को तलवार से मारा।
२. क्षत्रचूड़ामणि लम्व ३ श्लोक ५१
गन्धर्वादत्ता को वरते हुए मोक्षगामी जीवन्धर ने राजाओं से युद्ध किया।
३. क्षत्रचूड़ामणि लंब १० श्लोक ३७
जीवंधर ने काष्टांगार को युद्ध में मारा, फिर लड़ाई वन्द की, क्योंकि ती क्षत्री वृथा हिंसा नहीं करते । विरोधी के मरने पर पीछे नर-हत्या संकल्पी हिंसा है।
अन्य संग्राम संरंभ कौरवोऽमवारयत् । सुधा बधादि भीत्याहि क्षत्रिया वतिनोमताः ॥ ३८ ॥ ४. श्रेणिकचरित भ० शुभचन्द्रकृत सर्ग ६
मोक्षगामी जम्वृकुमार वैश्य ने हँसद्वीप के राजा रत्न. चूल पर चढ़कर केरल नगरी जा ८००० सेना का विध्वंस कर राजा को वाँध लिया।
५. गृहस्थ लोग मणि व मंत्र के प्रयोगोंको सीखते थे। ६. उत्तरपुराण पर्न ७५ श्लोक ३६जीवंधरकुमार मणि व मंत्रज्ञान में चतुर था।