SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 246
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( २१८) (१९) मणिवतदेश में दारानगर का जैनी राजा मणिमाली, पीछे मुनि हुए। (श्रे० च० सर्ग ११) (२०) हस्तिनापुर का राजा विश्वसेन । (श्रे० च० सर्ग ११) (२१) पद्मरथ नगर का राजा वसुपाल । (श्रे० च० सर्ग ११) (२२) अवन्ती ( माल्वा ) देश में उज्जयनी का राजा अवनिपाल जैनी। (धन्यकुमार चरित्र अ०१) (२३) मगधदेशकी भोगवती नगरीका राजा कामवृष्टि । (धन्यकुमार चरित्र ०४) नोट-जिन राजाओं के जैनी होने में संशय था उन के आगे जैनी शब्द नहीं लिखा गया है। ८६. श्री महावीर स्वामी के समय में सामयिक स्थिति का दर्शन ! (१) स्त्रियोंको अर्धांगिनी समझा जाता था व उनको सम्मानित किया जाता था। प्रमाण उत्तरपुराण पर्व ७४ श्लोक २५ । राजा सिद्धार्थ ने प्रियकारिणी को सभा में आने पर अपना आधा आसन बैठने को दिया। (२) सात २खन के मकान बनते थे। प्रमाण महावीर चरित्र उत्तर पुराण पर्व ७३ श्लोक २५३ । विदेह के कुण्डलपुर में सप्ततला प्रासाद थे।
SR No.010045
Book TitleJain Dharm Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherParishad Publishing House Bijnaur
Publication Year1929
Total Pages279
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy