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( २१५ ) भावार्थ-जैनियों में दो मुख्य भेद है-दिगम्पर और श्वेताम्बर । दिगम्बरी बहुत प्राचीन मालुम होते हैं और बहुत अधिक फैले हुए हैं । सर्व दक्षिण के जैनी दिगम्बरी मालूम होते हैं । यही हाल पश्चिमभारत के बहुन जैनियों का है । हिन्दुओं के प्राचीन धार्मिक ग्रन्थों में जैनियों को साधारणता से दिगम्बर या नग्न ही लिखा है। (८४) श्रीमहावीर स्वामी के समय में
इस भरतक्षेत्र के प्रसिद्ध राजा
जैनियों के कुछ पुराणों के देखने से जो नाम उन राजाओं के विदित हुए है जो श्री महावीर स्वामी के समय में थे, नीचे दिये जाते हैं
(१) मगधदेश-राजगृही का राजा श्रोणिक या विम्ब सार-जिसका कुल जैन था। कुमार अवस्था में वौद्ध हो गया था, फिर जवानीमें जैन होगया। यह भविष्य २४ तीर्थकरों में पहला पानामतीर्थकर होगा । (इसका विस्तृत जीवन चरित्र अलग पुस्तकाकार छप गया है । उसे मँगाकर पढ़ो)
(२)सिंधुदेश-वैशाली नगर का सोमवन्शी राजाचेटक जैनी था । उस की रानी भद्रा से निम्न १० पुत्र थे
धनदत्त भद्रदत्त, उपेन्द्र, सुदत्त, सिंहभद्र, सुकभोज, अकंपन, सुवतन, प्रभजन और प्रभास ।
इनमें अकंपन और प्रभास का नाम श्रीमहावीर स्वामी के ११ मुख्य साधु अर्थात् गणधरों में है ( यह सिंधु देश पञ्जाव के उधर सिंधु नदी के पास मालूम होता है)।
इस की पुत्रियां यह थी