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जन्म हुआ है । बहुत प्राचीन स्थान है। यहां सन् ई० से दो शताब्दि पहिले के जैन शिलालेख हैं ।
(७) अयोध्या - यहाँ श्री श्रादिनाथ, अजितनाथ, अभिनन्दननाथ, सुमतिनाथ व अनन्तनाथ ऐसे ५ तीर्थंकरों का जन्म स्थान है । यहाँ सदा ही भरत क्षेत्र के तीर्थंकरों का जन्म हुआ करता है, किन्तु इस कल्प में यहाँ केवल ५ ही जन्मे ।
( ८ ) श्रावस्ती या सहेठमहेठ जि० गोंडा--बलरामपुर से १२ मील । यहाँ श्री सभवनाथ तीसरे तीर्थकर का जन्म हुआ है ।
(६) रत्नपुरी - फ़ैज़ाबाद से कुछ दूर सुहावल स्टेशन से १॥ कोस । यहाँ १५वें तीर्थंकर श्री धर्मनाथ का जन्म हुआ है ।
(१०) कम्पि - जिला फर्रुखाबाद, कायमगञ्ज से ६ मील । यहाँ श्री विमलनाथ १३वें तीर्थंकर ने जन्म प्राप्त किया था ।
(११) अहिछत्र बरेली जिला आँवला स्टेशन से ६ मील । यहाँ श्री पार्श्वनाथ भगवान को कमठ ने उपसर्ग किया था | तब धरगोन्द्र पद्मावती ने उनकी रक्षा की थी और उनको यहाँ केवलज्ञान प्राप्त हुआ था, ऐसा प्रसिद्ध है ।
( १२ ) मथुरा - चौरासी । यहाँ अन्तिम केवली जम्बूस्वामी ने मुक्ति प्राप्त की है।
(१३) हस्तिनापुर मेरठ शहर से २४ मील। यहां श्री शान्तिनाथ, कुंथुनाथ, अरहनाथ १६, १७, १८ वे तीर्थंकरो के जन्म आदि चार कल्याणक हुए हैं।