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स्टेशन से ५ मील । यहाँ बहुत प्राचीन गुफाएँ हैं, अनेक साधुओं ने ध्यान किया है। सन् ई० से १५० वर्ष पूर्ण का जैन राजा खारवेल का शिलालेख हाथी- गुफ़ा में है। तीर्थङ्करों की मूर्तियां चिन्ह सहित कोरी हुई हैं ।
(२) युक्तप्रांत -
( १ ) बनारस – यहाँ श्री सुपार्श्वनाथ ७ वें तीर्थंकर का जन्मस्थान भदैनी घाट पर है । यहीं दिगम्बर जैनों का श्री स्याद्वाद महाविद्यालय है, जो सन् १६०५ ई० में स्थापित हुआ था । भेलूपुरा में श्री पार्श्वनाथ २३वें तीर्थंकर का जन्मस्थान है ।
(२) चन्द्रपुरी - बनारस से १० मील के करीब गङ्गा तट पर श्री चन्द्रप्रभु वे तीर्थंकर का जन्म स्थान है । (३) सिंहपुरी - बनारस से ६ मील श्री श्रेयांसनाथ ११ वें तीर्थङ्कर का जन्म स्थान है ।
( ४ ) खखुन्दी या किस्किन्धापुर - नुनखार स्टेशन से २ मील, गोरखपुर से ३० मील । यहाँ श्रीपुष्पदन्त भगवान ६ वें तीर्थङ्कर ने जन्म प्राप्त किया था ।
(५) कुहाऊँ — सलेमपुर स्टेशन से ५ मील गोरखपुर से ४६ मील। यहां एक जैन मानस्तम्भ २४॥ फुट ऊंचा है। श्री पार्श्वनाथ की मूर्ति अति है । इस पर गुप्त सं० १४६ व ४५० सन् ई० का शिलालेख है ।
(६) कोसाम या कौशाम्बी - ज़िला प्रयाग महानिपुर से १२ मील। यहां श्री पद्मप्रभु भगवान ६ठे तीर्थंकर का