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( १६९) जी वनमें प्यास से पीड़ित हो सोगये थे, वरदेवजी पानी लेने गये थे। जरत्कुमार ने दूरसे कृष्णको मृग जानकर वाण मारा, जिससे कृष्ण का देहान्त होगया।
वल्देवजी ने भी कुछ काल पीछे मुनिव्रत लिये और वे पाँच स्वर्ग पधारे। पांचों पाण्डवों ने दीक्षाली और सत्रुजय पर्वत पर ध्यान कर युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन ने मोक्ष पाई तथा नकुल सहदेव सर्वार्थसिद्धि पधारे।
८१. जैनियों के तिहवार जिन २ मितियों में जिस २ तीर्थदर ने मोक्ष पाई है वे सब ही उत्सव के योग्य हैं। वर्तमान में नीचे लिखे दिवस अति प्रसिद्ध हैं:
(१) कार्तिक, फागुन, आषाढ के अन्त के आठ दिन, जिनको आष्टान्हिका व नन्दीश्वर पर्व कहते हैं।
(२) कार्तिक वदी १४ अर्थात् निर्वाण चौदस, जिसकी पिछली रात्रि को श्री महावीर स्वामी ने मोक्ष प्राप्त किया ।
(३) कार्तिक वदी १५-गौतम स्वामी ने केवलज्ञान पाया।
(४) चैत्रसुदी १३-श्री महावीर भगवान का जन्म दिवस।
(५) वैशाख सुदी ३ (अक्षय तृतीया)-ऋषभदेव को श्रेयांस द्वारा प्रथम मुनिदान इस ही दिन हुआ।
(६) जेठ सुदी ५--शास्त्र पूजन का पवित्र दिन । (७) श्रावण सुदी १५-रक्षाबंधन पर्व इस ही दिन