________________
( १६%) . को बलवान जानकर यादवों ने सूरीपुर हस्तिनापुर व मथुरा को छोड़कर समुद्र के पार द्वारकानगर में बास किया। वहीं श्री नेमिनाथजी का जन्म हुआ ।
कुछ काल पीछे जरासन्ध कृष्ण के मारने के लिये सेना लेकर चला। इधर कृष्ण ने भी सेना ले पांचों पाण्डवों के साथ कुरुक्षेत्र में आकर जरासन्ध की सेना के साथ युद्ध किया। अन्तमे जरासन्ध ने सुदर्शनचक्र चलाया; वह कृष्ण के हाथ में आगया, उसी से ही कृष्ण ने जरासन्ध को मारा । वह मर कर नर्क गया, फिर कृष्ण ने तीन खण्ड राज्य पाकर द्वारका लौटकर, नागयण पदमें बल्देव सहित राज्य किया । इनका शरीर नील वर्ण का था । कृष्ण की रुक्मणी आदि आठ पटरानियां थी।
नेमिनाथ जी को अधिक प्रतापी जान कृष्ण ने कुछ ऐसी चेष्टा की जिससे नेमिनाथ वैराग्यवान हो, मुनि हो तप करने लगे। इधर बलदेव और नारायण राज्य करने लगे।
कृष्णके मोक्षगामी जम्बू प्रद्युम्न श्रादि पुत्र हुए । कृष्ण ने पाण्डवों को सहायता देकर कौरवों का विध्वंस कराया और पाण्डवों को राज्य दिलाया । अन्त में एक दफे कोई ऋद्धिधारी तपस्वी द्वीपायन द्वारका के बाहर तप कर रहे थे । उन पर यादवों के बालकों ने उपसर्ग किया। मुनि को क्रोध भागया, जिससे द्वारका भस्म होगई । बड़ी कठिनता से कृष्ण, बल्देव भागकर बचे।
कौशाम्बी के एक बन में पहुंचे। वहां कृष्ण का भाई जरत्कुमार, जो बहुत वर्ष पहले बाहर निकल गया था और कुसंगतिमें पड़ शिकार खेलने लगा था, रहा करता था। कृष्ण