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बलभद्र रामचन्द्र तथा समित्रा रानी से वे नारायण लक्ष्मण हुए। रामचन्द्र की रानी सोता पर मोहित हो रावण ने उसे हरण किया । इस पर रामचन्द्र ने लड्डा पर चढ़ाई की। युद्ध मैं लक्ष्मण ने रावण को मारा। वह नर्क गया। लक्ष्मण ने सीता को 'छुड़ाया। बहुत काल तक दोनों भाइयों ने राज्य किया । लक्ष्मण भोगों में अत्यन्त लिप्त रहते थे ।
एक दिन किसी ने रामचन्द्र की मृत्यु की झूठी ख़बर लक्ष्मण को दी, जिस को सुनते हो एक दम शोकाकुल हो जाने से लक्ष्मण के प्राण निकल गये ।
रामचन्द्र कुछ काल पीछे दीक्षाले तपकर मुक्ति पाई। ( 8 ) श्रीनेमिनाथ स्वामीके समय में मगध का राजा जरासघ नौवाँ प्रतिनारायण हुआ। उसी समय मधुरा के यदुवंशी महाराजा वसुदेव के रानी देवकी से श्रीकृष्ण नामके नारायण हुए |
राजा कंस देवकी के पुत्रों का शत्रु था । इससे उसके भय से वसुदेव ने पैदा होते ही कृष्ण को जमना पार ब्रज में ले जाकर एक नन्द गोपाल को पालने के लिये सौंप दिया।
महाराज वसुदेवकी दूसरी रानी रोहिणी से हवें बलभद्र पद्म नाम के हुए। किसी कारण से कंस ने कृष्ण का जन्म जान लिया। तब कृष्ण के मारने के लिये अनेक उपाय किये, पर वे सब निष्फल हुए ।
जब कृष्ण सामर्थ्यवान हुए तब पहिले ही उन्होंने कंस को युद्ध में मारा । कंसकी रानी जीवद्यशाने अपने पिता प्रतिनारायण जरासंध को पति के मरण का हाल सुनाया । जरासन्ध ने अपने पुत्र कालयवन को युद्ध के लिए भेजा । शत्रु