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________________ ( २०० ) श्री विष्णुकुमार मुनि द्वारा ७०० मुनि संघ को अग्नि से बवाया गया था। (D) भादों बदी १ से भादों सुदी १५ तक-षोडश कारण व्रत, जिसका प्रारम्भ श्रावण सुदी १५ से होकर समाप्ति कुधार बदी १ को होती है। (8) भादों सुदी५ से भादो सुदी १४ तक-दश लक्षण पर्व । (१०) भादों सुदी १०-सुगन्ध वा धूप दशमी । (११) भादो सुदी १३, १४,१५-रत्नत्रय व्रत;प्रारम्भ भादों सुदी १२ समाप्ति कुवार वदी १। (१२) भादों सुदी चौदश- अनंत चौदश, दशलाक्षणी का अन्त दिवस। ८२. जैनियों के भारतवर्ष में प्रसिद्ध कुछ तीर्थ व अतिशय क्षेत्र . (१) बंगाल, बिहार, उड़ीसा मान्त १. श्री सम्मेद शिखर पर्वत या पार्श्वनाथ हिल--यहां से सदा ही भरतक्षेत्र के २४ तीर्थकर मोक्ष जाया करते है। इस कल्पकाल में किसी विशेषता से श्री ऋषभ, वासुपूज्य, नेमिनाथ और श्री महावीर के सिवाय २० तीर्थकर मोक्ष प्राप्त हुए । यह सर्ग पर्वत परम पवित्र माना जाता है। जैन लोग नथे पैर यात्रा करते हैं, भोजनादि नीचे उतर कर करते हैं। ई० आई० रेल्वे के ईसरी स्टेशन से १२ मील हज़ारीबाग जिले में है।
SR No.010045
Book TitleJain Dharm Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherParishad Publishing House Bijnaur
Publication Year1929
Total Pages279
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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