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असिमपिसाधन, माजन, धान्य, वस्त्र. आयुध, प्राभूषण वादित्र, वस्त्रों के भण्डार होते हैं । इन के रक्षक भी देव होते हैं।
३ ३२००० हज़ार मुकुटवद्ध राजा व ३२००० देश व १८००० श्रार्यखण्ड के म्लेच्छ राजा (आधीन होते है)।
४.८४ करोड़ हाथी, ८४ लाख रथ, १८ करोड़ घोड़े, ४ करोड़ प्यादे,३ करोड़ गौशालायें आदि सम्पत्ति होती है।
छ खण्डों के राजाओं का दिग्विजय के द्वारा अपने प्राधीन करते हैं व न्याय से प्रजा को सुखी करते हुए गज्य करते हैं। ऐसे १२ चक्रवर्ती २४ तीर्थंकरों के समय में नीचे प्रकार हुए हैं :
(१) भरत-ऋषभदेव के पुत्र । यह बड़े धर्मात्मा थे। एक दफ़े इनको एक साथ तीन समाचार मिले-ऋपभ. देवका केवलक्षानी होना, श्रायुधशाला में सुदर्शनचक्र का प्रगट होना, अपने पुत्र का जन्म होना। आपने धर्म को श्रेष्ट समझ कर पहले ऋषभदेव के दर्शन किये, फिर लौटकर दोनों लौकिक काम किये। ___ भरत ने दिग्विजय करके भरतखण्ड को वश किया। मुख्य लेनापति हस्तिनापुर का राजा जयकुमार था । छोटे भाई बाहुबलि ने इनको सम्राट नहीं माना, तव इनसे युद्ध ठहरा। मंत्रियों की सम्मति से सेना की व्यर्थ में जिससे किसी भी प्रकार की क्षति न हो, इस कारण परस्पर तीन प्रकार के युद्ध ठहरे-दृष्टियुद्ध, जलयुद्ध, मल्लयुद्ध।
तीनो युद्धों में भरत ने वाइबलि से हार कर क्रोधित हो बाहुबलि पर चक्र चला दिया। किन्तु चक्र भी जब वाहवलि