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(१४६) मांस से कभी शरीर पुष्ट नहीं होता है, यह हिंसाकारी अप्राकृतिक आहार है । मद्य नशा लाती है, ज्ञान को बिगाडती है।
___ मधु मक्खियों का उगाल है, इसमें करोड़ो कीड़े पैदा होते रहते हैं व मरते रहते हैं। इन तीनों को औषधियों में भी न लेना चाहिए । *
७०, श्रावकों का विशेष धर्म
___ ग्यारह प्रतिमाएँ श्रावकों के लिए अपने आचरण की उन्नति के लिये ग्यारह श्रेणियां हैं जिन में पहली पहली श्रेणी का आचरण पालते रह कर आगे का आचरण और बढा लिया जाता है। इन ही को प्रतिमा कहते हैं। प्रतिमा जैसे अपने प्रासन में दृढ़ रहती हैं वैसे ही स्वकर्तव्य में श्रावक को मजबूत रहना चाहिये। (१) दर्शन प्रतिमा
___ सम्यग्दर्शन में २५ दोष न लगाना । सम्यग्दर्शन का धारी निम्न आठ अङ्ग पालता है :
(१) निम्शावित-जैन के तत्वों में शङ्का न रखना तथा वीरता के साथ जीवन बिताते हुए इस लोक, परलोक, रोग, मरण, अरक्षा, अगुप्ति, अकस्मात् , इन सात तरह के भयो को चित्त में न रखना।
* मद्य मांस मधु त्यागैः सहाणुव्रत पंचकम् । अष्टौ मूलगुणानाहु गृहिणां श्रमणोत्तमाः ॥ ६६ ॥
' (रलकरण्ड)