________________
( 8 ) में जाते हुए रहे १११. तिर्यञ्चगत्यानुपूर्वी जिससे तियंच गति को जाते हुए पूर्वाकार रहे । १२२. मनुष्य गन्यानुपूर्वीजिससे मनुष्य गति में जाते हुए पूर्वाकार हो ११३. देवगत्यानुपूर्वी-जिससे देव गति में जाते हुए पूर्वाकार हो ११४. अगुरु लघु-जिससे न शरीर बहुत भारी हो, न बहुत हलका हो ११५. उपघात-जिससे अपने अङ्ग से अपना घात करे ११६ परघात-जिससे परका घात करे ११७. प्रातपजिससे शरीर मूलमें ठण्डा हो, परन्तु उसकी प्रभा गरम हो जैसा सूर्यविमान के पृथ्वी कायिक जीवों में है ११८. उद्योतजिससे शरीर प्रकाशरूप हो; जैसा चन्द्रविमान के पृथ्वी. कायिक जीवों में व परवीजना आदि हीन्द्रिय, तेइन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय, पंचेन्द्रिय जीवो में है ११६. उवास-जिससे श्वांस चले १२०. विहायोगति-जिससे आकाश में गमन शुभ व अशुभ हो १२१ प्रत्येक शरीर-जिससे एक शरीर का स्वामी एक जीव हो १२२. साधारण शरीर-जिससे एक शरीर के स्वामी अनेक जीव हो १२३. स-जिससे द्वीन्द्रियादि में जन्में १२४. स्थावर-जिससे एकेन्द्रिय मे जन्मे १२५. सुभग-जिस से दूसरा शरीर से प्रेम करे १२६. दुर्भग-जिस से दूसरा अप्रीति करे १२७. सुस्वर-जिस से स्वर सुहावना हो १२८. दुःस्वर-जिससे स्वर असुहावना हो १२६. शुभ-जिससे सुन्दर शरीर हो १३० अशुभ-जिससे कुरूप हो १३१ सूक्ष्म-जिससे ऐसा शरीर हो जो कहीं भी न रुके, न किसी से मरे १३२ वादर-जिससे शरीर रुक सके व वाधा पावे व दूसरे को रोके १३३. पर्याप्ति-जिससे आहार, शरीर, इन्द्रिय. उछास, भाषा व मन, इन छहों के बनने की