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आकार हो ८४. वज्र वृषभ नाराच संहनन - जिससे नसों के जाल, हड्डियों की कीलें व हड्डियाँ वज्र के समान दृढ़ हो ८५. वज्र नाराच संहनन - जिससे कीलें सौर हड्डी वज्र के समान हो ८६ नाराच संहनन - जिससे हड्डियाँ दोनों तरफ कीलोसे दृढ़ हों ८७ अर्ध नाराच संहनन - जिस से हड्डियाँ एक तरफ़ कीलदार हों . कीलक संहनन - जिस से हड्डियां एक दूसरे में कील दी हो = श्रसंप्राप्तासृपाटिका संहनन - जिस से हड्डियां मांस से जुड़ी हो ६०. कर्कश स्पर्श - जिस से शरीर का स्पर्श कठोर हो ६२. मृदु स्पर्शजिल जे शरीर का स्पर्श कोमल हो ६२. गुरु स्पर्श - जिस से स्पर्श भारी हो ε३. लघु स्पर्श - जिस से स्पर्श हलका हो ६४. स्निग्ध स्पर्श - जिस से स्पर्श चिकना हो ६५. रूक्ष स्पर्श - जिस से स्पर्श रूखा हो ε६. शीत स्पर्श - जिस से स्पर्श ठण्डा हो ६७ उष्ण स्पर्श - जिस से स्पर्श गर्म हो Ex, तिकरस - जिससे शरीर के पुद्गलों का स्वाद कड़वा हो ६६. कटुक रस - जिससे चरपरा हो १००. कषाय रसजिस से कषायला हो १०१ आम्ल रस -- जिस से स्वाद खट्टा हो १०२. मधुररस - जिससे मीठा हो १०३ सुरभिगन्ध जिससे गन्ध सुहावनी हो १०४ सुरभिगन्ध - जिससे गन्ध बुरी हो १०५. शुक्ल वर्ण -- जिस से शरीर का रङ्ग सफ़ेद हो १०६. कृष्ण वर्ण - जिससे रङ्ग काला हो १०७. नील वर्णजिस से वर्ण नीला हो १०८. रक्त वर्ण-जिस से वर्ण लाल हो १०६. पीतवर्ण - जिससे वर्ण पीला हो ११०. नरकगत्यानुपूर्वी - जिससे नरकगति को जाते हुए पूर्व शरीर के आकार आत्मा विग्रहगति अर्थात् एक शरीर से दूसरे शरीर