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लोकव्यवस्थां
कालद्रव्य :
समस्त द्रव्यों के वर्तना, परिणमन आदिका कालद्रव्य साधारण निमित्त है । पर्याय किसी-न-किसी क्षण में उत्पन्न होती तथा नष्ट होती है, अतः 'क्षण' समस्त द्रव्योंकी पर्यायपरिणति में निमित्त होता है ।
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ये चार द्रव्य अरूपी हैं । धर्म, अधर्म और असंख्य कालाणु लोकाकाशव्यापी हैं और आकाश लोकालोकव्यापी अनन्त है ।
संसारी जीव और पुद्गल द्रव्योंमें विभाव परिणमन होता है । जीव और पुद्गलका अनादिकालीन सम्बन्ध होनेके कारण जीव संसारीदशामें विभाव परिणमन करता है । इसका सम्बन्ध समाप्त होते ही मुक्तदशामें जीव शुद्ध परिणमनका अधिकारी हो जाता है ।
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इस तरह लोकमें अनन्त 'सत्' स्वयं अपने स्वभावके कारण परस्पर निमित्तनैमित्तिक बनकर प्रतिक्षण परिवर्तित होते हैं । उनमें परस्पर कार्यकारणभाव भी बनते हैं । बाह्य और आभ्यन्तर सामग्री के अनुसार समस्त कार्य उत्पन्न होते और नष्ट होते हैं । प्रत्येक 'सत्' अपने में परिपूर्ण और स्वतंत्र है । वह अपने गुण और पर्यायका स्वामी है और है अपनी पर्यायोंका आधार । एक द्रव्य दूसरे द्रव्यमें कोई नया परिणमन नहीं ला सकता । जैसी जैसी सामग्री उपस्थित होती जाती है उसके कार्यकारण- नियम अनुसार द्रव्य स्वयं वैसा परिणत होता जाता है । जिस समय कोई बाह्य सामग्रीका प्रबल निमित्त नहीं मिलता उस समय भी द्रव्य अपने स्वभावानुसार सदृश या विसदृश परिणमन करता ही है । कोई सफेद कपड़ा एक दिनमें मैला होता है, तो यह नहीं मानना चाहिए कि वह २३ घण्टा ५९ मिनिट तो साफ़ रहा और आखिरी मिनिट में मैला हुआ है; किन्तु प्रतिक्षण उसमें सदृश या विसदृश परिवर्तन होते रहे हैं और २४ घण्टेके समान या असमान परिणमनोंका औसत फल वह मैलापन है । इसी तरह मनुष्य में भी बचपन, जवानी और वृद्धावस्था आदि स्थूल परिणमन प्रतिक्षणभावी असंख्य सूक्ष्म परिणमनोंके फल हैं । तात्पर्य यह कि प्रत्येक द्रव्य अपने परिणमनमें उपादान होता है और सजातीय या विजातीय निमित्तके अनुसार प्रभावित होकर या प्रभावित करके परस्पर परिणमनमें निमित्त बनता जाता है । यह निमित्तोंका जुटाव कहीं परस्पर संयोगसे होता है तो कहीं किसी पुरुष प्रयत्नसे । जैसे किसी हॉइड्रोजनके स्कन्धके पास हवाके झोंकेसे उड़कर ऑक्सिजन स्कन्ध पहुँच जाय तो दोनोंका जलरूप परिणमन हो जायगा, और यदि न पहुँचे तो दोनोंका अपने-अपने रूप ही अद्वितीय परिणमन होता रहता है । यह भी संभव है कि कोई वैज्ञानिक अपनी प्रयोगशाला में ऑक्सिजनमें हाइड्रोजन मिलावे और इस तरह दोनोंकी जल पर्याय बन जाय । अग्नि है, यदि उसमें गीला
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