________________ ग्रन्थसंकेत विवरण 451 प्रमेयरत्नमाला प्रश० कन्द० प्रश० भा० प्रश० भा० व्यो प्राकृतच. प्राकृतस० प्राकृतसं० बुद्धचर्या बोधिचर्या बोधिचर्या. पं० बृहट्टिपणिका जैन सा० सं० बृहत्स्व 0 बृहदा० भा० वा० सम्बन्धवा० बृहद्व्यसं० ब्रह्मबिन्दूप० ब्रह्मसू० ब्रह्मसू० नि० भा० ब्रह्मसू० शां० भा० ब्रह्मसू० शां० भा० भा० भगवतीसूत्र भगवद्गी० भागवत भारतीयदर्शन भास्करभा० मज्झिमनिकाय मत्स्यपु० माध्यमिककारिका महाभा० मिलिन्दप्रश्न अनन्तवीर्यकृत प्रशस्तपादभाष्य-कन्दलीटीका प्रशस्तपादभाष्य प्रशस्तपादभाप्य-व्योमवतीटीका प्राकृतचन्द्रिका प्राकृतसर्वस्व प्राकृतसंग्रह राहुल सांकृत्यायनकृत बोधिचर्यावतार बोधिचर्यावतारपञ्जिका बृहद्दिष्पणिका, जैन साहित्य संशोधकमें प्रकाशित बृहत्स्वयम्भूस्तोत्र (प्रथमगुच्छक ) बृहदारण्कमाष्यवार्तिक सम्बन्धवार्तिक बृहद व्यसंग्रहटीका ब्रह्मबिन्दूपनिषद् ब्रह्मसूत्र ब्रह्मसूत्रनिम्बार्कभाष्य ब्रह्मसूत्रशांकरभाष्य ब्रह्मसूत्रशांकरभाष्यभामतीटीका व्याख्याप्रज्ञप्ति अपर नाम भगवतीसूत्र भगवद्गीता श्रीमद्भागवत . बलदेव उपाध्यायकृत ब्रह्मसूत्रभास्करभाष्य हिन्दी अनुवाद मत्स्यपुराण नागार्जुनीया महाभारत हिन्दी अनुवाद Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org