________________ 446 जैनदर्शन ज्ञानक्रियावाद जैनग्रन्थ ग्रन्थकार थग्रन्थकार तर्कसंग्रहफक्किका मयाचन्द्र ( १९वीं) पद्मविजयगणि ( १९वीं) ऋद्धिसागर (२०वीं) निर्णयप्रभाकर इत्यादि इस तरह जैनदर्शन ग्रन्थोंका विशाल कोशागार है / इस सूचीमें संस्कृत ग्रन्थोंका ही प्रमुखरूपसे उल्लेख किया है। कन्नड़ भाषामें भी अनेक दर्शनग्रन्थोंकी टीकाएँ पाई जाती हैं। इन सभी ग्रन्थोंमें जैनाचार्योंने अनेकान्तदृष्टिसे वस्तुतत्त्वका निरूपण किया है, और प्रत्येक वादका खंडन करके भी उनका नयदृष्टिसे समन्वय किया है / अनेक अजैनग्रन्थोंकी टीकाएँ भी जैनाचार्योंने लिखी हैं, वे उन ग्रन्थोंके हार्दको बड़ी सूक्ष्मतासे स्पष्ट करती हैं / इति / हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी -महेन्द्रकुमार न्यायाचार्य 2019 / 53 Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org