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नयका लक्षण
नय प्रमाणकदेश है सुन-दुर्न
दो नय द्रव्यार्थिक और
पर्यायार्थिक
परमार्थ और व्यवहार द्रव्यास्तिक और द्रव्यार्थिक तीन प्रकारके पदार्थ और
निक्षेप
तीन और सात नय
ज्ञाननय, अर्थनय और शब्दनय
मूल नय सात
नैगमनय
नैगमाभास
विषयानुक्रम
९. नयविचार ३३२-३६०
ऋजुसूत्र - तदाभास
शब्दनय और तदाभास
समभिरूढ और तदाभास
संग्रह - संग्रहाभास
व्यवहार और व्यवहाराभास
स्याद्वादकी उद्भूति स्याद्वाद की व्युत्पत्ति
स्याद्वादः विशिष्ट भाषापद्धति विरोध- परिहार
वस्तुकी अनन्तधर्मात्मकता
प्रागभाव
प्रध्वंसाभाव
इतरेतराभाव
अत्यन्ताभाव
सदसदात्मक तत्त्व
एकानेकात्मक तत्त्व
नित्यानित्यात्मक तत्त्व
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१०. स्याद्वाद और सप्तभंगी ३६१-४३०
३६१
भेदाभेदात्मक तत्त्व
३६२ सप्तभंगी
३६३ अपुनरुक्त भंग सात हैं
३६५
सात ही भंग क्यों ?
३६६
अवक्तव्य भंगका अर्थ
३६६ स्यात् शब्दके प्रयोगका नियम
३६७ परमतकी अपेक्षा भंगयोजना ३६८ सकलादेश और विकलादेश ३६८ ३६९ भंगों में सकल-विकलादेशता
मलयगिरि आचार्यके मतकी
मीमांसा
३४०
एवंभूत तथा तदाभास
नय उत्तरोत्तर सूक्ष्म और
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अल्पविषयक हैं
अर्थनय शब्दनय
द्रव्यार्थिक- पर्यायार्थिक विभाग
निश्चय और व्यवहार
द्रव्यका शुद्ध लक्षण
त्रिकालव्यापि चित् ही लक्षण
हो सकता है ।
निश्चयका वर्णन असाधारण
लक्षणका कथन है पंचाध्यायीका नयविभाग
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कालादिकी दृष्टिसे भेदाभेदकथन ३८१
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