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________________ समुद्घात, कषाय-समुद्घात,तैजस-समुदघात,मारणान्तिक-समुद्घात, विक्रिया-समुद्घात ओर आहारक-समुद्घात। सम्भवनाथ-तीसरे तीर्थकर । श्रावस्ती नगरी के राजा दृढराज इनके पिता थे ओर रानी सुषेणा मा थी। इनकी आयु साठ लाख वर्ष पूर्व थी। शरीर चार सो धनुष ऊचा था। चिरकाल तक राज्य करने के उपरान्त एक दिन मेघो का विलय देखकर ससार से विरक्त हो गए ओर पुत्र को राज्य देकर जिनदीक्षा ग्रहण कर ली। चौदह वर्ष तक तपस्या के फलस्वरूप इन्हे केवलज्ञान हुआ। इनके सघ मे चारुदत्त आदि एक सो पाच गणधर, दो लाख मुनि, तीन लाख आर्यिकाए, तीन लाख श्रावक ओर पाच लाख श्राविकाए थीं। इन्होंने सम्मेदशिखर से मोक्ष प्राप्त किया। सम्भावना-सत्य-जेसी इच्छा रखे वेसा कर सके यह सम्भावना-सत्य कहलाता है। जैसे-इन्द्र इच्छा करे तो जम्बूद्वीप को पलट सकता हे यह सम्भावना सत्य है। सम्मति-सत्य-बहुत लोगो के द्वारा माना गया जो नाम आदि है वह सम्मति-सत्य कहलाता है। जैसे-राजा की स्त्री को रानी या देवी कहना। सम्मूर्छन-जन्म-जो स्वयमेव वातावरण मे सब ओर से शरीर के योग्य पुद्गल परमाणुओ को ग्रहण करके जीवो का जन्म होता है वह सम्मूर्छन जन्म हे। एकेन्द्रिय से लेकर असज्ञी पचेन्द्रिय तक सभी तिर्यचो का ओर किन्ही सज्ञी पचेन्द्रिय तिर्यची व मनुष्यो का भी सम्मूर्छन जन्म होता है। 242 / जेनदर्शन पारिभाषिक कोश
SR No.010043
Book TitleJain Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKshamasagar
PublisherKshamasagar
Publication Year
Total Pages275
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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