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नाम का दोष हे ।
लौकान्तिक- 1 ब्रह्मलोक नामक पाचवे स्वर्ग के अंत मे जिनका निवास है वे लोकान्तिक कहलाते है । 2 लोक का अर्थ ससार है, अत जिनके ससार का अत निकट है वे लौकान्तिक हे । लोकान्तिक देव एक भवावतारी होते है अर्थात् मरणोपरात एक मनुष्य भव पाकर मुक्त हो जाते हे । भोग-विलास से विरक्त होने के कारण ये देवर्षि कहलाते हे । ये चोदह पूर्व के ज्ञाता है ओर मात्र दीक्षा - कल्याणक के अवसर पर तीर्थकरो के वेराग्य की प्रशंसा करने मध्यलोक में आते है ।
जेनदर्शन पारिभाषिक कोश / 211