SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 186
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भोजन- सपात - साधु को आहार देते समय दाता के हाथ से यदि आहार सामग्री नीचे गिर जाए तो यह भोजन -सताप नाम का अतराय है। भौम-निमित्त - पृथिवी की सघनता, स्निग्धता आदि गुणो का विचार करके जो ताबा, सोना, चादी आदि धातुओ की हानि - वृद्धि का ज्ञान होता है वह भौम-निमित्त - ज्ञान कहलाता है । भ्रमराहार - जिस प्रकार भोरा, फूलो को बाधा पहुचाए विना रस ग्रहण करता है उसी प्रकार साधु, दाता की बाधा पहुचाए बिना उसके द्वारा दिया गया आहार ग्रहण करते है, इसलिए साधु की यह आहार चर्या भ्रमराहार या भ्रामरीवृत्ति कहलाती है । 188 / जैनदर्शन पारिभाषिक कोश
SR No.010043
Book TitleJain Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKshamasagar
PublisherKshamasagar
Publication Year
Total Pages275
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy