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________________ २४५] दूसरा भाग। (५) सोना चादी, धन धान्य, खेत मकान दामीदास, गो भेमादि, अन्नादिका त्याग परिग्रह त्याग महाव्रत है। पाच समिति (१) ईर्याममिति, दिनमें सदी भूमिपर चार हाथ जमीन भागे देखकर चलना, (२) भाषासमिति-शुद्ध, मीठी, सभ्य वाणी कहना, (३) एषणा समिति-शुद्ध भोजन सतोषपूर्वक भिक्ष द्वारा लेना, (४) आदाननिक्षेपण समिति-शरीरको व पुस्तकादिको देखकर उठाना धरना, (५) प्रतिष्ठापन समिति-मल मृत्रको नि-तु भूमिपर देखके करना । तीन गुप्ति- १) मनोगुप्ति-मनमें खोटे विचार न करके धर्मका विचार करना । (२) वचनगुप्ति-मौन रहना या प्रयाजन वश अरुप वचन कहना या धर्मो रदेश देना । (३) कायगुप्ति-कायको आसनसे प्रमाद रहित रखना। इस तेरह प्रकार चारित्रकी गाथा नेमिचद्र सिद्धात चक्रवर्तीने द्रव्यसग्रहमें कही है मुहादोविणिवत्तो सुहे पवित्तो य जाण धारित्त । घदसमिदिगुत्तरूव बबहारणपा दु जिणभणिय ॥ ४५ ॥ भावार्थ -अशुभ बातोले बचना व शुभ बातोंमें चलना चारित्र है। व्यवहार नयसे वह पाच वा पाव समिति तीन गुप्तिरूप कहा गया है। ___ स धुको मोक्षमार्गमें चलते हुए दश धर्म व बारह तपके साधन की भी जरूरत है। दश धर्प "उत्तमक्षमामार्दवावपत्यशौचसयमतपस्त्यागाकिंचन्यब्रह्मचर्याणि धर्मः " तत्वार्थसूत्र अ० ९ सूत्र ६ ।
SR No.010041
Book TitleJain Bauddh Tattvagyana Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages288
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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