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________________ मग भाग। होगा ? नहीं : भिक्षुओ! इस प्रकार देखते जानते क्या तुम रोमा कहोगे। शस्ता हमारे गुरु हैं। शास्ताके गौ व ( के ख्याल ) से हम ऐमाने हैं। नहीं। भिक्षु भो ! इस प्रकार देखते जानते क्या तुम ऐसा कहोगे कि अमणन में ए 11 कहा, श्रमगके कथनमे हम ऐसा कहते हैं । शिशुभो १ देखते जानते क्या तुम दूसरे शास्ताके अनुगामा हग ? -हीं। भिक्षु ! इस प्रकार देखते जानते क्या तुम नाना श्रमण जहणोंक जो ब्रा, कौतुक, मगल सम्बन्धी क्रियाए हैं उन्हें सारके सौ.पर ग्रहण रोग ? नहीं। ___क्या क्षुि भो ! जो तुम्हारा अग्ना जाना है, अपना देखा है, अपना अनुभव किया है उसीको तुम कहते हो ? हा भते । सधु ! भिक्षुओ ! मैने भिक्षु ओ, समया तरमें नहीं तत्काल फूलद य यही दिखाई देनेवाले विज्ञोंद्वारा अपने आपने जानने योग्य इप धर्मके पास उपनीत किया ( पहुचाया ) है । भिक्षुओ ! यह धर्म समयान्तरमें नहीं तत्काल फलदायक है, इसका परिणाम यहीं दिखाई देनेवाला है या विज्ञोंद्वारा अपने आपमें जानने योग्य है । यह जो कहा है, वह इसी ( उक्त कारण ) से ही ___९-भिक्षुषो । तीनके एकत्रित होनेसे गर्भधारण होता है । माता और पिता एकत्र होते है। किन्तु माता ऋतुमती नहीं होती और गन्धर्व ( उत्पन्न होनेवाला ) चेतना प्रवाह देखो मसिधर्म कोश
SR No.010041
Book TitleJain Bauddh Tattvagyana Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages288
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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