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जैन बौद्ध तत्वज्ञान। [१७९ सम्बुद्धका नाम है, (५) सुमेध यह शैक्ष्य भिक्षु ( जिसकी शिक्षाकी अभी आवश्यक्ता है ऐसा निर्वाण मार्गारूढ व्यक्ति) का नाम है, (६) शस्त्र यह आर्य प्रज्ञा ( उत्तम ज्ञान ) का नाम है, (७) अभीक्षण ( काटना ) यह वीर्यारभ ( उद्योग) का नाम है, (८) लगी अविद्याका नाम है। लगीको फेंक सुमेध-अविद्या को छोड़, शस्त्रसे काट, प्रज्ञासे काट यह अर्थ है, (१०) धुधुआना यह क्रोधकी परेशानीका नाम है, धुधुआनाके कदे-क्रोध मलको छोड दे, प्रज्ञा शस्त्रसे काट यह अर्थ है, (१०) दो रास्ते यह विचिकित्सा (सशय) का नाम है, दो रास्ते फेक दे, सशय छोड दे, प्रज्ञासे काट दे, (११) चंगवार यह पाच नीवरणो ( आवरणों ) का नाम है जैसे-(१) कामछन्द ( भोगोंमें राग), (२) व्यापाद (परपीड़ा करण), (३) स्थान गृद्धि (कायिक मानसिक आलस्य, (४) औद्धत्य कौकृत्य (उच्चखता और पश्चाताप ) (५) विचिकित्सा (संशय), चावार फेक दे। इन पाच नीवरणोंको छोड दे, प्रज्ञासे काट दे, (१२) कूर्म यह पाच उपादान स्कषों का नाम है। जैसे कि
(१) रूप उपादान स्कध, (२) वेदना उ०, (३) सज्ञा उ., (४) संस्कार उ०, (५) विज्ञान उ०, इस कर्मको फेंकदे । प्रज्ञा मस्त्रसैं इन पाचोंको काट दे। (१३) असिसूना-यह पाच कामगुणों (भोगों) का नाम है। जैसे (१) चक्षु द्वारा प्रिय विज्ञेय रूप, (२) श्रोत्र विज्ञेय प्रिय शब्द, (३) घाण विज्ञेय सुगन्ध, (४) जिहमा विज्ञेय इष्ट रस, (५).काय विज्ञेय इष्ट स्पृष्टव्य । इस असिसुनाको फेंक दे, प्रज्ञासे इन पांच कामगुणोंको काट दे। (१३)..मांसपेली