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जैन बौद्ध तत्वज्ञान। [१३३ यहा यह अर्थ है-गहरा महान जलाशय यह कामों ( कामनाओं, भोगों) का नाम है। महान मृगसमूह यह प्राणियोंका नाम है। अनशंकाक्षी, अहिताकाक्षी, अयोगक्षेमकाक्षी पुरुष यह मार (पापी कामदेव ) का नाम है। कुमार्ग यह आठ प्रकारके मिथ्या मार्ग हैं। जैसे-(१) मिथ्यादृष्टि, (२) मिथ्या सकल्प, (३) मिथ्या वचन, (४) मिथ्या कर्मान्त (कायिक कर्म ) (५) मिथ्या भाजीव ( जीविक) (६) मिथ्या व्यायाम (७) मिथ्या स्मृति, (८) मिथ्या समाधि । एकचर यह नन्दी-रागका नाम है, एक चारिका ( जाल ) अवि थाका नाम है। भिक्षुषों ! अर्चाकाक्षी, हिताकाक्षी, योगक्षेमाकाक्षी, मह तथागत आईत् सम्यक् सबुद्धका नाम है। क्षेम,स्वस्तिक, प्रीतिगमनीय मार्ग यह आर्य आष्टागिक मार्गका नाम है। जैसे कि(१) सम्यक्दृष्टि, (२) सम्यक् सकल्प, (३) सम्यक् वचन (४) सम्यक् कर्मान्त, (५) सम्यक् आजीव, (६) सम्यक् व्यायाम, (७) सम्यक् स्मृति, (८) सम्यक समाधि । इस प्रकार भिक्षुओं ! मैंने क्षेम, स्वस्तिक प्रीतिगमनीय मार्गको खोल दिया। दोनों ओरसे एक चारिका (भविद्या) को नाश कर दिया। भिक्षुओ! श्रावकोंके हितैषी, अनुकम्पक, शास्ताको अनुकम्पा करके जो करना था वह तुम्हारे लिये मैने कर दिया। भिक्षुओ! यह वृक्ष मूल है, ये सूने घर हैं। ध्यानरत होओ। भिक्षुओ! प्रमाद मत करो, पीछे अफसोस करनेवाले मत बनना यह तुम्हारे लिये हमारा अनुशासन है ।
नोट-यह सूत्र बहुत उपयोगी है, बहुत विचारने योग्य है। * दोहक वितर्कका नाम जैन सिद्धातमें भेदविज्ञान है। कामवितर्क, न्यापादवितर्क, विहिंसावितर्क इन तीनोंमें राग द्वेष