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कथा-साहित्य
मानवी
इस सकलनमे छः कहानियाँ है-नारीत्व, अतीतके पृष्ठोसे, जीवन पुस्तकका अन्तिम पृष्ठ, मातृत्व, चिरजीवी और अनुगामिनी । इनका आधार क्रमशः पद्मपुराण, सम्यक्त्वकौमुदी, निशिभोजन कथा, क्षणिक चरित्र, पुण्यास्तवकथाकोप और पद्मपुराणका कथानक है। इस सग्रहकी कथाएँ नारी जीवनमे उत्साह, करण, प्रेम, सतीत्व और सात्त्विक भावोकी अभिव्यञ्जना करनेमे पूर्ण क्षम है।
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'नारीत्व' कहानीमें नारीके उत्साह और सतीत्वका अपूर्व माहात्म्य दिखाया गया है। इसमे सबला नारीका महान् परिचय है । अयोध्यानरेग मधूककी महारानीकी वीरताकी स्वर्णिम झलक, कर्त्तव्य और साहस, पतिव्रता नारीका तेज एवं सतीका यश बड़े ही सुन्दर ढगसे चित्रित है । एक ओर नरेश मधूकका दिग्विजयके लिए गमन और दूसरी ओर दुष्ट राजाओका आक्रमण । ऐसी विकट स्थितिमे महारानीने नारीत्व और कर्त्तव्यकै पलडेको परखा । देशकै प्रतिनिधित्वके लिए कर्त्तव्यको महान् समझ रानी स्वय रणागणमें उपस्थित हो जाती है और शत्रुके दॉत खट्टे कर यह चतला देती है कि जो नारीको अबला समझते हैं, वे गलत रास्तेपर है, नारीके रणचण्डी बन जानेपर उसका मुकाविला कोई नहीं कर सकता है ।
मधूकको यह सब नरुचा । एक कोमलाङ्गी नारीका यह साहस ! नारीत्वका यह अपमान ! महारानी प्रासादके बाहर कर दी गयी । महारानको दाहरोग हुआ, सैकडों उपचार किये गये, पर कोई लाभ नही । अन्तमें वे सती महारानीकी अजुलीके छीटोंसे रोगमुक्त हुए । नारीके दिव्य तेजके समक्ष अभिमानी पुरुपको झुकना पडा, उसे उसकी महत्ताका अनुभव हुआ ।
'अतीत के पृष्ठोसे' शीर्षक कहानीमें नारी- हृदयकी कोमलता, सरलता, कटुता और कठोरताका उचित फल दिखलाया गया है। जिनदत्ताके