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हिन्दी जैन साहित्य परिगीलन वाली और सुन्दरी, चन्दनाकुमारी और ब्रह्मचारिणी अनन्तमती, ये नीन कथाएँ दी गयी हैं । इन कथाऑमें अनेक स्थानीपर लेखक उपदर्शक रूपमे पाठकोंके समक्ष प्रस्तुत होता है। कथाओम मूलतत्त्वाका सम्धिन करनेका प्रयास किया गया है । पर सफलता नहीं मिल सकी है।
पौराणिक आख्यानोंको लेकर मौलिक कहानियाँ लिखनेवाल्म सर्वश्री जैनेन्द्रकुमार, त्रिपाल जैन, भगवत्वस्प 'भगवत्',अश्यकुमारजन, बालचन्द्र जैन एम० ए०, और रनलाल 'वंसल आदि हैं । महिला लेन्त्रिकाओंमें चन्द्रमुखी देवी, चन्द्रप्रभा देवी, शरवती देवी और पुनादेगी कहानियाँ अच्छी होती हैं। दिगम्बरजैनकै कथाङ्कमें कई नवीन लेखकांकी भी कथाएँ छपी हैं। जैन महिलादर्शने मी सन् १९४६ में प्राचीन महिन कथा प्रकाशित किया था। इस संक्रकी कहानियोंमें श्रीमती चन्द्रग्रम देवीकी नीली शीर्षक कहानी कहानी-कलाको दृष्टिसे अच्छी है। आरम्म और अन्त दोनों ही सुन्दर हुए हैं।
श्री जैनेन्द्रकुमार लब्धप्रतिठ कलाकार हैं । आपने भावनिक सेंकड कथाएँ लिखी है। आपकी रचनायोम शुद्ध साहित्यिक गुणाक अतिरिक्त विचार और दार्शनिकताका गाम्भीर्य मी विद्यमान है। एक कथाकार होनेके कारण, जैनेन्द्रनीक विचारोंमें भी भानुक्ताका होना स्वाभाविक है। आपकी कथायामें बलाके दोनों तन्त्र-चित्रोंका एक समूह और उन्हें अनुप्राणित करनेवाला मावॉका स्पष्ट पन्दन विद्यमान है। भावों और चित्रोंका जैसा मुन्दर समन्वय जैनेन्द्रनीकी कलाम है, अन्यत्र कठिनाईसे मिल सकेगा।
आयकी 'बाहुबली' और 'विद्युचर ये दो कथाएँ जैनशाहिन्धन अमूल्य निधि हैं। 'बाहुबली' कथाम बाहुवलीके चरित्रका विश्लेषण बहुत सूटम मनोवैज्ञानिक रूपसे हुआ है। इसमें उस समयको परम्परा और सामानिक विश्वासोंकी सट झॉकी विद्यमान है। कथानकके कलेवरम पात्रोंका परिचय अभिनयात्मक रुपले प्रात हो जाता है। पात्रोंकी आण्मु