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हिन्दी - जैन-साहित्य- परिशीलन
प्रद्युम्न कुमार, चीर यशोधर कुमार, कर्मवीर जम्बूकुमार एवं धर्मवीर अकsacaका बालचरित्र अंकित किया गया है ।
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वर्णनात्मक कविताओंमें जुगलकिशोर मुख्तार 'युगवीर' की 'अलसम्बोधन' नाथूराम 'प्रेमी' की 'पिताकी परलोकयात्रापर, भगवन्त गणपति गोपलीय की 'सिद्धवरकूट', गुणभद्र 'आगास' की 'मिखारीका 'स्वप्न', सूर्यभानु 'डॉगी' की 'संसार', शोभाचन्द्र 'भारितल' की 'अन्यत्व, अयोध्याप्रसाद गोयलीयकी 'जवानोंका बांध, वा० कामताप्रसादकी 'जीवन-शॉकी', लक्ष्मीचन्द्र एम० ए० की "मैं पतझरकी सूची डाली", शान्तिस्वरुप 'कुसुम' की 'कलिकाके प्रति', लक्ष्मणप्रसाद 'प्रशान्त' की 'फूल', खूबचन्द 'पुष्कल' की 'भन्नमन्दिर, पन्नालाल 'वसन्त' की 'त्रिपुरी की आँकी', वीरेन्द्रकुमार एम० ए० की 'वीर वन्दना', घासीराम 'चन्द्र' की 'फूलसे', राजकुमार साहित्याचार्यकी 'आह्वान', ताराचन्द 'मकरन्द' की 'ओम', 'चन्द्रप्रभा देवीकी 'रणभेरी', कमला देवीकी 'रोरी', कमलादेवी राष्ट्रमापाकोविदकी 'हम हैं हरी-भरी फुलवारी' शीर्षक कविताका समावेश होता है। इनमें अधिकांश कविताएँ ऐसी हैं, जिनमें वर्णनके साथ मात्रात्मकता भी पूर्णरूप से विद्यमान है ।
भावात्मक मुक्तक रचनाएँ वे ही मानी जा सकती हैं, जिनमें अनुभूति अत्यन्त मार्मिक हो । कवि सांसारिकतासे उठकर भाव-गगनमें विचरण करता दृष्टिगोचर हो । अन्तर्वृत्तियाँका उन्मीलन हो, पर बाह्यजगत्के सुधार- परिकारॉकी चर्चा न की गयी हो ।
नैराव्य, भक्ति, प्रणय और सौन्दर्यकी अभिव्यनना ही जिसका चरम लक्ष्य रहे और जिसकी आरम्भिक पंक्तिके श्रवणसे ही पाठकके हृदय मे सिहरन, प्रकम्पन और आलोटन - विलोडन होने लगे, वह श्रेष्ठ भावात्मक मुक्तक रचना कही बा सकती है। अतएव भावविह्वलता, विदग्धता और संकेतात्मकताका इस प्रकारकी कवितायें रहना परम आवश्यक है । आधुनिक जैन कवियमं श्रेष्ठ भावात्मक काव्य लिखनेवाले ग्रायः नहीं