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हिन्दी - जैन साहित्य-परिशीलन
हरिवंशपुराणकी वचनिका, पद्मपुराणकी वचनिका, आदिपुराणकी वचनिका, परमात्मप्रकाशकी वचनिका और श्रीपालचरित्रकी रचना की है।
खडगसेनने तिलोकदर्पण; जगतरामने आगमविलास, सम्यत्तत्वकौमुदी, पद्मनन्दपच्चीसी आदि अनेक ग्रन्थः देवीसिंहने उपदेशसिद्धान्त रत्नमाला, जीवराजने परमात्माप्रकाशकी वचनिका; ताराचन्दने ज्ञानार्णव, विश्वभूषण भट्टारकने जिनदत्तचरित्र, हरखचन्दने श्रीपाल चरित्र, बिनरगसूर्यने सौभाग्यपच्चीसी, धर्ममन्दिरगणिने प्रबोधचिन्तामणि, इसविजययतिने कल्पसूत्रकी टीका, ज्ञानविजय यतिने मलयचरित्र एव लाभवर्द्धनने उपपदी ग्रन्थोंकी रचना की है।
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rated शताब्दीमें टोडरमलने गोम्मटसारकी वचनिका, त्रिलोकसारकी वचनिका, लब्धिसारकी बच निका, क्षपणसारकी वचनिका और आत्मानुशासनकी वचनिका; जयचन्द्रने सर्वार्थसिद्धिकी वचनिका, द्रव्यसंग्रहकी वचनिका, स्वामिकार्त्तिकेयानुप्रेक्षाकी वचनिका; आत्मख्यातिसारकी वचनिका, परीक्षासुख वचनिका, देवागम वचनिका, अष्टपाहुडकी वचनिका, ज्ञानार्णवकी वचनिका और भक्तामरकी वच्चनिका; वृन्दावनलालने वृन्दावनविलास, चतुर्विंशति चिनपूजापाठ और तीसचौबीसी पूजापाठ ; भूधरमिश्रने पुरुषार्थसिद्धधु पाय वचनिका और चर्चासमाधान; बुधजनने तत्त्वार्थबोध, बुधजन सतसई, पञ्चास्तिकाय भाषा और बुधजनविलास ; दीपचन्दने ज्ञानदर्पण, अनुभवप्रकाश (गद्य), अनुभवविलास, आत्मावलोकन, चिद्विलास, परमात्मपुराण, स्वरूपानन्द और अध्यात्मपच्चीसी; ज्ञानसार या ज्ञानानन्दने ज्ञानविलास और समयतरङ्गः रङ्गविजयने गजल: कर्पूरविजय या चिदानन्दने स्वरोदय; टेकचन्दने तत्त्वार्थकी भुतसागरी टीकाकी वचनिका ; नथमल बिलालाने जिनगुणविलास, नागकुमारचरित, जीवन्धर चरित और जम्बूस्वामी चरित; डालूरामने गुरूपदेशश्रावकाचार, सम्यक्त्वप्रकाश और अनेक पूजाऍ सेवारामने हनुमच्चरित्र, शान्तिनाथ पुराण और भविष्यदत्त चरित्र; देवीदासने
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