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कथा-साहित्य
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'नटिल मुनि' कहानीका आरम्भ अच्छा हुआ है, पर अन्त कलात्मक नही हुआ है | तीव्रतम स्थिति (Climax) का भी अभाव है, फिर भी कहानी में मार्मिकता है। कथाकारने कहानी आरम्भ करते हुए लिखा है- "मुनिवर, आज बड़ा अनर्थ हो गया। पुरोहित चन्द्रशर्माने चौलक्याधिपतिको शाप दिया है कि इस मुहूर्त्त में वह सिंहासनके साथ पातालमें धँस जायँगे । दुर्धासाकी तरह चक्र भ्रुकुटी लाल नेत्र और सर्पकी तरह फुंफकारते हुए जब चन्द्रने शाप दिया तो एक बार तो चालुक्याधिपति हतप्रभ हो गये। मैं उन्हे सान्त्वना तो दे आया हूँ । पर वह आन्दोलित है । मुनिवर चौलुक्याधिपतिकी रक्षा कीजिये ।" रानमन्त्रीने घबड़ाहटसे कहा । कहानीमे उत्सुकता गुणका निर्वाह अन्त नही हो सका है। एक सबसे बडा टोप इन कहानियोंमें प्रवाहशैथिल्य भी पाया जाता है। यही कारण है कि इन कहानियोंमें घटनाओके इतिवृत्त रूपके सिवाय अन्य कथातत्त्व नही आ सके है 1
इस संकलनमें भी अयोध्याप्रसाद 'गोयलीय' की ११८ कहानियों, किवदन्तियों, सस्मरण और आख्यान तथा चुटकुले हैं। श्री गोयलीयने गहरे पानी पैठ जीवन-सागर और वाड्मयको मथकर इन रतौंको निकाला है | ये सब कथाऍ तीन खण्डोमे विभक्त है
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१. वड़े जनके आशीर्वादसे (५५)
२. इतिहास और जो पढा (४७)
३. हियेकी ऑखोसे जो देखा (१६)
इन कथाओमे लेखककी कलाका अनेक स्थलोपर परिचय मिलता है। आकर्षक वर्णनशैली और टकसाली मुहावरेदार मापा हृदय और मनको पूरा प्रभावित करती हैं। इनमे वास्तविक्ताके साथ ही भावको अधिकाधिक महत्त्व दिया गया है । वस्तुतः श्री गोयलीयने जीवन के अनुभवोको लेकर मनोरंजक आख्यान लिखे है । साधारण लोग जिन बार्तोकी उपेक्षा