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________________ हिन्दन्नन माहिर परिचालन आन स्थगित कर लिया है। नत्र भावार्थ नर्मलता गयागनी ग मोड और मन्त्री जुगार मंत्रालयल देती है। उन चार पत्र दिया है न गात्र न उलट दिन मात्र और यह उनकी प्राचिन गया खुद श्री चंदन गन चिन्द किये ग मात्र ने अन्न सच और नमकनवा नभाया य उपना st-यन दम नरहनेवाले दान मादिकी नाल नई अस्त हो । इन्टिव और रोगी अना नन्छ माण गर्न इन मामलहना ढन्हें शेम नहीं शामिन बह और श्रम बिॉस दुम्ने विजय लिया है, निकर ही तुमको ठग , दुन्हा चटन्य नारर उनका विचार नग, ऑकिन्न हार अग्नी हार र नीना नही है। दिन मया के द्वारा निदि मंगारिक मत रहने उन्हें कवित्र अगलकमी ला देना पड़ताल में नर्म लिया है, कह डिबुल भरि है। यानी तुम्न दिनार लिया है तुम हो, ऋट आये ही दुकानन कंबा देई हैं किन्न समाने शिकार च्युट रहे हो? डन्य नवनादित्य मात्र जगदगद, निर नुन्हाय मशिन इंगम है, तुन्ने विचलित हैं, इनका दुले में दावायनल नहीं है। नव्या तुम रहा होला अब बाउ बन्ना जहद हो। इन नु और कलाप र वन्ने बहननन्या श्री? टन लंका होकर गया मंडीगटॉम उन्द्रकला हो । गुन्हाट देकर मैंदना सुन रही है, नुन्हान्दारे लिए कान है, अननमय है, अाई, न्योर है और है विधायक चाका महागाइदा ! सन रिजनी कार का
SR No.010038
Book TitleHindi Jain Sahitya Parishilan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1956
Total Pages253
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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