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________________ ऐतिहासिक गीतिकाव्य १३१ यशोगाथाएँ दान देनेकी प्रेरणा तो देती ही है, पर साथ ही धर्मोत्कर्षक लिए आनन्दपूर्वक समस्त कष्टोको सहन करनेका सदेश भी हृदय पटल पर अकित कर देती है । वैयक्तिक विकासके वीज भी इनमें व्यात है। ऐतिहासिक गीतोमें जैन कवियोने ऐतिहासिक तथ्योंके साथ अनुभूति और कल्पनाका प्रदर्शन भी किया है। महत् अनुभूतिके विना न तो ऐतिहासिक तथ्य ही प्रभावोत्पादक हो सकते है और न कल्पना ही ठहर सकती है। जिन गीतोमे अनुभूतिका अभाव है, वे निष्प्राण है, उनमे मानव हृदयको रमानेवाले तत्त्व नहीं हैं। अनुभूतिहीन कल्पना और तथ्यविवेचन जीवन-तत्त्वोको छोडकर गतिशील होनेके कारण हृदयको अपने साथ नहीं ले जा सकते है, अतः हृदय तत्त्वका अभाव होनेसे वे लोकप्रिय नहीं बन सकते है। जिन गीतोंमे लोकानुरजनकी क्षमता होती है, वे ही जनताके हृदयमें रसानुभूति उत्पन्न कर सकते है तथा मानव इसी प्रकारके गीतोंको अपना कण्ठहार बनाता है। कल्पना और वैचिन्यकी प्रधानता रहने पर भी लोकानुरजनके अभावमें गीत जीवनको अनुप्राणित कर सकेगे, इसमे सन्देह है। अतएव जैन कवियोने ऐतिहासिक गीतोंमे जीवन-तत्त्वोका पूरा समावेश किया है, उन्होंने लोकानुरंजन और अनुभूति को पूरा अवकाश दिया है। यही कारण है कि ऐतिहासिक होनेपर मी जैन-गीत लोकप्रिय हैं। यद्यपि समयके प्रभावसे अब अधिकाश पुराने गीताको जैन जनता भूल रही है, फिर भी इन गीतोका महत्त्व सदा अक्षुण्ण रहेगा। गीतिकाव्यके विकास-क्रमको अवगत करनेके लिए तथा जीवनकी भावधारासे परिचित होनेके लिए जैन ऐतिहासिक गीतिकाव्योका विशेष महत्व है। भाषाके पारखियोंके लिए तो ऐतिहासिक जैन गीतोका अत्यधिक महत्व है ही, पर कलापारखियोके लिए भी जीवन-तत्त्वांका अभाव नहीं है। बाह्य सौन्दर्यानुभूतिके साथ अन्तःसौन्दर्यका इतना सुस्पष्ट वर्णन क्म ही सलोंमें मिलेगा । अन्तः साधनके स्पर्म ज्ञान, दर्शन और चारित्रको महत्त्वा दी
SR No.010038
Book TitleHindi Jain Sahitya Parishilan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1956
Total Pages253
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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