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ऐतिहासिक गीतिकाव्य
अपनी आदर्शमयी यशस्वी गौरव गाथाओंके मौलिक उपादानोंको लेकर ऐतिहासिक काव्योंका सृजन करती हैं। क्योकि इतिहास ही राष्ट्र और व्यक्तिके जीवनमं चैतन्य, स्फूत्ति, स्वाभिमान, आशा और गौरवकी भावना उत्पन्नकर मानवको गतिशील जीवनकी ओर अग्रसर करता है । जबतक हमे अपनी प्रातन सस्कृति और आचार-व्यवहारोकी अभिज्ञता नही रहती, हम वास्तविक उन्नति करनेका अभ्यास नहीं कर पाते । महाभारतमें कृष्ण द्वैपायनने इसी कारण धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष और पुरावृत्त कथाओंका मिश्रित रूप इतिहासको कहा है । इतिहासमे अतीतके समी चलचित्र चित्रित किये जाते हैं, जिससे आगामी परम्परा जागरण प्राप्त करती है । कवि या साहित्यकारोने मानवताको अक्षुण्ण रखनेके लिए सरस, रागात्मक, मर्मस्पर्शी और कोमल-कमनीय भावनाओ की अभिव्यञ्जनाके साथ ऐतिहासिक व्यक्तियोके चरित्र, सास्कृतिक स्थलोकी गौरवगाथा, धर्म और संस्कृति प्रतिष्ठापकों के त्याग बलिदान एव सत्साहित्य निर्माताओंकी जीवनगाथा भी अभिव्यक्त की है । महाभारत के रचयिताने इसी कारण इतिहासको मोहान्धकारनाशक दीपक कहा है
धर्मार्थकाममोक्षाणामुपदेशसमन्वितम् । पूर्ववृत्तकथायुक्तमितिहासं प्रचक्षते ॥ इतिहासप्रदीपेन मोहावरणघातिना ।
लोकगर्भगृहं कृत्स्नं यथावत् संप्रकाशितम् ॥
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nifer अर्थशास्त्र रचयिता चाणक्यने भी इतिहासके विपयका प्रतिपादन करते हुए पुराण, इतिवृत्त, आख्यायिका, उदाहरण, धर्मशास्त्र और अर्थशास्त्रकी अन्वितिका निरूपण करना इतिहासका विषय बताया है । वस्तुतः अतीत-चित्रणमे हमारा चित्त रमता है, सौन्दर्यका साक्षात्कार होता है और पुरातन उदात्त भावनाओंका अवलम्बन पा हम सर्वतोमुखी विकासकी सीढीपर चढ़ते है । 'अह' और 'मम' की भावनामे परिष्कार होता है, जिससे अन्तः विश्वासकी धारा अपनी प्रखरताकै कारण ऊपरी