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पदाका गुलनाग्मक विवेचन
૧ર૦ है पनि भूगरताम और भग्न पगमे अनुप्राणिन-मा प्रतीत होता है। भगाटात.
न जगभरण चिर शान्त । निमको अपगक समझ में मनीषनर्म परिवर्तन अनन्त, अमर र यात मय भूलंगा नुम भाकुल दमको हो भन्न । मपि भूपारे तापा मानी मुषि-युधि बिमरानी ।
चंचल पिस घरन घिर राग, विषयन ते परती। भानन में गुनगाय निरन्तर, पापन पाय जजी ॥
सानपानदोग भागनति गोमन और गार गन्दॉक सम्बल्से अभिनन । पटोमेगास्टाल मुन्न । यषि यनारमीदास, भूपरदाम, भागनन्द, दौलतगम, पन्न, मानन्दपनके पट हिन्दी गदिन्य
निधि नभ पचौर, घर और गुल्गी जैसे पनि अधिr आग्मागुनि यिमान है।