________________
दश-वैकालिक-सूत्र |
अथ पंचम अध्ययन द्वितीयोद्दश ।
;
तर्जनीर द्वारा पात्र निःशेषं मुलिया । तर्जनी- संलग्नं खाद्य आस्वाद लंइया || दुर्गन्ध सुगन्ध ह'क ना कंरि विचार | पूर्वोक्त विधिते प्राप्त निर्दोष आहार | संयत साधक उहा भोजन करिवे । उहा हते कदापिओ किछु ना त्यजिवे ॥१ स्वाध्याय भूमिते किंवा आवासे आसिया । स्वाध्याय आवासे किम्बी गंमन करिया || निकटस्थ मठादिते अत्यल्प आहार । करि यदि प्राणरक्षा ना हय काहार ॥ ताहा हले कि करिवे साधु महाशय । वर्णित हइवे तार विधान -निचय ॥२ आहारेर पुनर्वार हले प्रयोजन । कि करिवे साधुवर कहिंव एखन ॥